सिविक लेक्सिकन में आपका स्वागत है! हमारा नया ब्लॉग वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 की गहराई से पड़ताल करता है। यह कानून वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता, समावेशिता और जवाबदेही लाने का प्रयास करता है। हमारे साथ जुड़ें और इस महत्वपूर्ण सुधार को सरल भाषा में समझें! इस ब्लॉग में आपको वक़्फ़ बोर्ड क्या हैं, वक़्फ़ के कार्य, संशोधन अधिनियम 2025 आदि के बारे में जानेंगे।
वक़्फ़ क्या है
वक़्फ़ कोई भी चल या अचल (movable or immovable) संपति हो सकती है जिसे इस्लाम को मानने वाला कोई भी व्यक्ति धार्मिक कार्यों के लिए दान कर सकता है। इस दान की ही संपति का कोई मालिक नहीं होता है। दान की हुई इस संपति का मालिक अल्लाह को माना जाता है, लेकिन इसे संचालित करने के लिए कुछ संस्थान बनाए जाते है।वक़्फ़ बोर्ड
वक़्फ़ की संपति का संचालन करने के लिए वक़्फ़ बोर्ड होते है। यह स्थानीय और राज्य स्तरीय भी हो सकते है। राज्य स्तर पर बने वक़्फ़ बोर्ड इस वक़्फ़ संपतियों का ध्यान रखता है। वक़्फ़ बोर्ड अधिनियम 1955 वक़्फ़ संपतियों के प्रबंधन और देख रख के लिए एक कानूनी संरचना प्रदान करता है।यह अधिनियम वक़्फ़ बोर्ड की संरचना, उनके कारों और शक्तियों को निर्धारित करता है। इस अधिनियम का उद्देश्य वक़्फ़ संपतियों के प्रबंधन को सुव्यवस्थित और पारदर्शी बनाना है, ताकि इस संपतियों का उपयोग धार्मिक कार्य और सामाजिक उद्देश्यों के लिए किया जाए।
अधिनियम के अनुसार प्रत्येक राज्य में एक वक़्फ़ बोर्ड की स्थापना की जाती है, जिसे वक़्फ़ संपतियों का प्रबंधन करने का अधिकार है।
वक़्फ़ परिषद (waqf council) यह परिषद केंद्र सरकार के अधीन कार्य करती है और वक़्फ़ बोर्डों के बीच समन्वय और मार्गदर्शन प्रदान करती है।
वक़्फ़ बोर्ड के कार्य
वक़्फ़ संपतियों की सूची तैयार करना और उनका रिकॉर्ड रखना।संपतियों का प्रबंधन करना व उनका उपयोग इस प्रकार करना की समाज में कल्याण हो सके।
विवादों को समाप्त करना संपतियों से संबंधित विवादों का निपटारा करना।
वक़्फ़ संपतियों की सुरक्षा करना भी वक़्फ़ बोर्ड की जिम्मेदारी होती है।
विकास कार्य वक़्फ़ बोर्ड संपतियों के उपयोग से विकास कार्य के लिए योजनाएं बनाता हैं।
वक़्फ़ संशोधन अधिनियम, 2025
विधेयक के उद्देश्य/ objective of the bill
संपतियों का प्रबंधन और पारदर्शिता सुनिश्चित करना: इस अधिनियम के माध्यम से सरकार वक़्फ़ संपत्तियों का प्रभावी प्रबंधन और पारदर्शिता करना है। इस अधिनियम से वक़्फ़ बोर्ड की गतिविधियों और निर्णयों में अधिक पारदर्शिता लाना है।विभिन्न समूह और महिलाओं का प्रतिनिधित्व: इस अधिनियम द्वारा वक़्फ़ बोर्ड में विभिन्न समुदाय के वर्गों जैसे शिया, सुन्नी, बोहरा, आगाखानी और अल्पसंख्यकों के साथ साथ महिलाओं को भी स्थान दिया गया था।
विवाद समाधान में सुधार इस अधिनियम द्वारा विवादित संपत्ति के समाधान की प्रक्रिया के सरकार का हस्तक्षेप को बढ़ाया गया है, ताकि विवाद को जल्दी हल किया जा सकता।
वक़्फ़ विधेयक की आवश्यकता
मौजूदा वक़्फ़ अधिनियम के कुछ कमियां थी, जिन्हें इस अधिनियम द्वारा दूर किया जाएगा जैसे वक़्फ़ बोर्ड के पास असीमित अधिकार प्राप्त था, जिस कारण संपत्तियों को मनमाने दावे किए जाते थे। किंतु इस अधिनियम द्वारा इन असीमित अधिकारों की सीमित किया जाएगा।बहुत से राज्यों के वक़्फ़ बोर्ड संपत्तियों का सर्वे और पंजीकरण अधूरा है, जिस कारण प्रबंधन के कठिनाई होती है।
कानूनी सुधार वक़्फ़ के निर्णयों के विरुद्ध अपील की सुविधा नहीं होना और सरकारी संपत्तियों को वक़्फ़ के रूप में दावा करने की समस्या को ठीक करना।
इन सभी समस्याओं के समाधान के लिए आवश्यक हैं कि पूर्व वक़्फ़ अधिनियम के संशोधन किया जाए।
नए वक़्फ़ अधिनियम के कुछ प्रमुख प्रावधान
संपत्ति वक़्फ़ करने के लिए शर्त: इस अधिनियम के अनुसार अब केवल वहीं व्यक्ति अपनी संपत्ति वक़्फ़ कर सकता है जो कम से कम 5 वर्षों से इस्लाम का पालन कर रहा हो और संपत्ति का कानूनी मालिक वही व्यक्ति हो जो वक़्फ़ करना चाहता है।केंद्रीय वक़्फ़ परिषद: केंद्रीय वक़्फ़ परिषद को वक़्फ़ संपत्तियों से संबंधित निर्णय लेने की लिए शीर्ष निकाय के रूप में गठित किया गया है। केंद्रीय वक़्फ़ परिषद में एक केंद्रीय मंत्री, तीन सांसद, मुस्लिम संगठनों के तीन प्रतिनिधि और तीन मुस्लिम कानून विशेषज्ञ शामिल होंगे।
इसमें सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के दो पूर्व न्यायाधीश, चार राष्ट्रीय स्तरीय व्यक्ति और केंद्र सरकार के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल होंगे।
गैर मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति: केंद्रीय वक़्फ़ परिषद और राज्य वक़्फ़ बोर्ड में कम से कम दो गैर मुस्लिम सदस्य शामिल करना अनिवार्य है।
महिलाओं का प्रतिनिधि: वक़्फ़ बोर्ड के कम से कम दो महिलाओं का होना अनिवार्य होगा।
इस अधिनियम के लागू होने से पहले या बाद में वक्फ संपत्ति के रूप में पहचानी गई या घोषित की गई कोई भी सरकारी संपत्ति वक्फ संपत्ति नहीं मानी जाएगी।
जिला कलेक्टर की भूमिका : विवादित संपत्तियों की स्थिति तय करने के लिए जिला कलेक्टर या राज्य सरकार द्वारा नामित अधिकारी जिम्मेदार होंगे। वक्फ संपत्तियों का सर्वेक्षण करने का अधिकार जिला कलेक्टर या डिप्टी कलेक्टर के पास रहेगा।
विवादित भूमि पर अनिवार्यतः सरकार का नियंत्रण होगा, जो पहले वक्फ बोर्डों के पास हुआ करती थी।
वक्फ ट्रिब्यूनल में बदलाव : ट्रिब्यूनल के फैसले को अंतिम मानने का प्रावधान हटाया गया है। अब 90 दिनों के भीतर उच्च न्यायालय में अपील की जाने की अनुमति प्रदान की गई है।
संपत्ति पंजीकरण : सभी वक्फ संपत्तियों का 6 महीने के भीतर केंद्रीय पोर्टल पर पंजीकरण अनिवार्य है।
कंप्यूटरीकरण : सभी वक्फ संपत्तियों के रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण किए जाने की व्यवस्था की गई है।
सजा का प्रावधान : वक्फ संपत्तियों के अनधिकृत हस्तांतरण पर सजा का प्रावधान किया गया है।
नए विधेयक में सरकार ने सुझाव दिया है कि वक्फ बोर्ड को मिलने वाले धन का इस्तेमाल विधवाओं, तलाकशुदा महिलाओं और अन्य जरूरतमंद लोगों के कल्याण के लिए किया जाना चाहिए।
विपक्षी दलों और मुस्लिम समुदाय द्वारा अधिनियम का विरोध
मुस्लिम संगठनों और विपक्षी दलों द्वारा इस अधिनियम का विरोध इस आधार पर किया जा रहा है, की इस अधिनियम के माध्यम से सरकार धार्मिक स्वतंत्रता में हस्तक्षेप कर रही है। यह अधिनियम अनुच्छेद 25 और अनुच्छेद 26 का उल्लंघन करता है। क्योंकि वक़्फ़ बोर्ड इस्लाम की धार्मिक संस्था है जिसमें गैर मुस्लिम की नियुक्ति इस्लाम की भावना को आहत कर सकती है।गैर मुस्लिमों की नियुक्ति के कारण उनकी स्वायतता कम हो सकती है और निर्णय प्रक्रिया में बाहरी प्रभाव बढ़ सकता है।
Read more: संविधान की प्रस्तावना
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
Que: वक़्फ़ बोर्ड संशोधन अधिनियम से वक़्फ़ बोर्ड समाप्त होगा।
Ans: नहीं, इस संशोधन अधिनियम द्वारा वक़्फ़ बोर्ड समाप्त नहीं होगा बल्कि इसमें कुछ प्रबंध बदले जाएंगे।
Que: इस अधिनियम से वक़्फ़ बोर्ड की संपत्ति सरकार द्वारा छीनी जाएगी।
Ans: नहीं, इस संशोधन अधिनियम द्वारा वक़्फ़ बोर्ड की संपत्ति सरकार द्वारा नहीं छीनी जा सकती।
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